가을/오세영
가을/오세영
너와 나
가까이 있는 까닭에
우리는 봄이라 한다.
서로 마주하며 바라보는 눈빛,
꽃과 꽃이 그러하듯
너와 나
함께 있는 까닭에
우리는 여름이라 한다.
부벼대는 살과 살 그리고 입술,
무성한 잎들이 그러하듯
아, 그러나 시방 우리는
각각 홀로 있다.
홀로 있다는 것은
멀리서 혼자 바라만 본다는 것,
허공을 지키는 빈 가지처럼
가을은
멀리 있는 것이 아름다운
계절이다.
| 번호 | 제목 | 글쓴이 | 날짜 | 조회 | 추천 |
|---|---|---|---|---|---|
| 공지 | 우리 홈 게시판 사용 방법 | 오작교 | 22.04.26.16:57 | 268140 | 0 |
| 공지 | 테이블 매너, 어렵지 않아요 2 | 오작교 | 14.12.04.10:33 | 287218 | 0 |
| 공지 | 당국이 제시한 개인정보 유출 10가지 점검 사항 4 | 오작교 | 14.01.22.17:09 | 302270 | 0 |
| 공지 | 알아두면 유익한 생활 상식 7 | 오작교 | 13.06.27.09:38 | 316367 | 0 |
| 332 | 빈지게 | 05.10.13.00:34 | 3258 | +4 | |
| 331 | 우먼 | 05.10.13.00:07 | 3059 | +1 | |
| 330 | 김일경 | 05.10.12.22:21 | 3032 | +5 | |
| 329 | 전윤수 | 05.10.12.11:22 | 3074 | +2 | |
| 328 | 하늘빛 | 05.10.12.10:22 | 3201 | +1 | |
| 빈지게 | 05.10.12.10:08 | 2838 | +2 | ||
| 326 | 김남민 | 05.10.11.19:55 | 3271 | +1 | |
| 325 | 고암 | 05.10.11.18:18 | 3401 | 0 | |
| 324 | 빈지게 | 05.10.11.10:46 | 3434 | 0 | |
| 323 | 하늘빛 | 05.10.11.10:10 | 3376 | 0 | |
| 322 | 하늘빛 | 05.10.11.10:09 | 2927 | +2 | |
| 321 | 우먼 | 05.10.11.00:55 | 3126 | +1 | |
| 320 | 빈지게 | 05.10.10.22:58 | 3139 | +7 | |
| 319 | 빈지게 | 05.10.10.09:15 | 3093 | +1 | |
| 318 | 빈지게 | 05.10.10.09:15 | 3067 | +1 | |
| 317 | 빈지게 | 05.10.10.09:14 | 3378 | 0 | |
| 316 | 빈지게 | 05.10.10.09:14 | 3585 | +2 | |
| 315 | 빈지게 | 05.10.10.09:09 | 3374 | 0 | |
| 314 | 바위와구름 | 05.10.09.11:02 | 3438 | +32 | |
| 313 | 빈지게 | 05.10.09.10:39 | 3461 | 0 |